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लेखनी कहानी -13-Nov-2022


जमीं पर बैठकर क्या आसमान देखता है
पंख फैला के जमाना उड़ान देखता है।

काम कुछ ऐसे कर कि पहचान बन जाये
यहाँ अब कौन भला खानदान देखता है।

ये सारा विश्व है तेरा अपना घर ही तो
क्यों इतनी हसरत से गैरों के मकान देखता है।

अपनी रूह को उम्मीदों के नए पंख लगा
जब ये जमाना तुझे लहूलुहान देखता है।

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5 Comments

Gunjan Kamal

16-Nov-2022 07:34 PM

बहुत ही सुन्दर

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Nice 👌🌺

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Sachin dev

14-Nov-2022 03:54 PM

Well done ✅

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